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Shayri

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Shayri

जब आंख खुली तो अम्‍मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
भूमण्‍डल से प्‍यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्‍तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्‍तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड. आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है
मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है
मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्‍य की काया है
मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्‍तों की गहराई है
मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्‍यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है
सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है
मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्‍काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है
माना मेरे घर की दीवारों में
चन्‍दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है
मां सरस्‍वती लक्ष्‍मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है
अम्‍मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है
सारे तीरथ के पुण्‍य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्‍तान नहीं
मैं उन मांओं का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं ।
--------- डा॰ सुनील जोगी www.drsuniljogi.com suniljogikavi@gmail.
कोई यहाँ डाकू, लिए चाक़ू है लड़ाकू कोई
जीत के चुनाव नाव जैसे, तन जाते हैं
धूल में खेले, न कभी भूल से, स्कूल गए,
बिना पढ़े लिखे, शिक्षा मंत्री बन जाते हैं
मैंने कहा बीए बिना, पीए रखते हैं आप
पिए बिना कैसे फ़ाइलों को निपटाते हैं
वो बोले कि काम हम अंगूठे से चलाते हैं जी
पहले चूसते थे, अब लगाते औ दिखाते हैं ।
- डॉ. सुनील जोगी www.hasya.in
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
ज़िन्दगी को अपनी, बहार कर लो ।|
प्यार बिना कोई भी, कहानी नहीं है
प्यार बिना रुत ये, सुहानी नहीं है
प्यार बिना जिन्दगानी ऐसी लगती
जैसे किसी नदियाँ में, पानी नहीं है
किसी से तो अँखियाँ कोचार कर लो
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार सीता से किया तो राम बनोगे
राधा से किया तो घनश्याम बनोगे
प्यार में जो ज़ोर ज़बरदस्ती करोगे
सच कहता हूँ आसाराम बनोगे ।
प्यार किया हो तो इकरार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार धरती है, आसमान प्यार है
धड़कते दिलों की ज़ुबान प्यार है
ईश्वर का दिया वरदान प्यार है
पत्थर में छुपा भगवान प्यार है
साँस - साँस अपनी सितार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार सुर, लय और तान से करो
माता, पिता, बेटियों के मान से करो
प्यार सर उठाके स्वाभिमान से करो
प्यार अपने देश हिन्दुस्तान से करो
हर दिन अपना त्यौहार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
------ डॉ॰ सुनील जोगी info@drsuniljogi.com
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
ज़िन्दगी को अपनी, बहार कर लो ।|
प्यार बिना कोई भी, कहानी नहीं है
प्यार बिना रुत ये, सुहानी नहीं है
प्यार बिना जिन्दगानी ऐसी लगती
जैसे किसी नदियाँ में, पानी नहीं है
किसी से तो अँखियाँ कोचार कर लो
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार सीता से किया तो राम बनोगे
राधा से किया तो घनश्याम बनोगे
प्यार में जो ज़ोर ज़बरदस्ती करोगे
सच कहता हूँ आसाराम बनोगे ।
प्यार किया हो तो इकरार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार धरती है, आसमान प्यार है
धड़कते दिलों की ज़ुबान प्यार है
ईश्वर का दिया वरदान प्यार है
पत्थर में छुपा भगवान प्यार है
साँस - साँस अपनी सितार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
प्यार सुर, लय और तान से करो
माता, पिता, बेटियों के मान से करो
प्यार सर उठाके स्वाभिमान से करो
प्यार अपने देश हिन्दुस्तान से करो
हर दिन अपना त्यौहार कर लो ।
प्यार करो, प्यार करो, प्यार कर लो
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Severity: Core Warning

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Line Number: 0

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